सेब की अतिसघन बागवानी योजना अधर में लटकी
1 min readउत्तरकाशी। जिले में सेब की अतिसघन बागवानी योजना अधर में लटक गई है। बिना पौधा लिए ही किसानों को उद्यान विभाग से हर दिन निराश लौटना पड़ रहा है। जिले के 586 किसानों को सेब के पौधों के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है, लेकिन तब तक पौध लगाने के लिए मौसम अनुकूल नहीं रहेगा।
सरकार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के उद्यान, कृषि और बागवानी करने के सपने दिखा रही है। बागवानी योजना को प्रोत्साहन देने के लिए जिले में सेब की अतिसघन बागवानी योजना भी शुरू की गई है, लेकिन जिले में योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। स्थिति यह है कि किसानों को अपने उद्यान में लगाने के लिए सेब के पौधे तक नहीं मिल पा रहे हैं।
जिले में प्रतिवर्ष लगभग 50 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। गंगा घाटी क्षेत्र में सबसे अधिक 30 हजार और यमुना घाटी क्षेत्र में 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। हर्षिल का सेब को लोग खूब पसंद करते हैं। सेब की अतिसघन बागवानी योजना के तहत उद्यान विभाग ने काश्तकारों से दिसंबर में आवेदन मांगे थे। अलग-अलग क्षेत्र के 586 किसानों ने पौधे लेने के लिए उद्यान विभाग में आवेदन किया। योजना के तहत उद्यान विभाग से सेब के पौधा लेने के लिए 60 प्रतिशत अनुदान सरकार की ओर से देने की व्यवस्था है। 40 प्रतिशत की धनराशि किसान को खर्च करनी थी, लेकिन बजट के अभाव में सेब की अतिसघन बागवानी योजना फिलहाल अधर में लटक गई है।