अपोलो अस्पताल में भर्ती 61 वर्षीय ब्रेनडेड मरीज ने बचाईं कई जिंदगियां, परिवार ने किए अंगदान
– परिजनों की अनुमति के बाद हृदय, लीवर और किडनी की पुनर्प्राप्ति कर नोएडा और चेन्नई तक भेजा
देहरादून। करुणा और उदारता के मार्मिक प्रदर्शन के साथ दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती 61 वर्षीय मरीज के ब्रेनडेड घोषित होने के बाद परिजनों ने उनके अंगदान में दिए। परिजनों से अनुमति मिलने के बाद अस्पताल में विशेषज्ञोंकी टीम ने हृदय, लीवर और किडनी की पुन र्प्राप्तिकर उन्हें प्रत्यारोपण के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा।
जानकारी के अनुसार, उच्च रक्त चाप की समस्या से ग्रस्त 61 वर्षीय मरीज को घातक स्ट्रोक के चलते दिल्ली के
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया जहां बीते 30 जनवरी को उन्हें ब्रेनडेड घोषित किया। इस अपार दुख के बावजूद मृतक के परिवार ने निस्वार्थ निर्णय लेते हुए देश में अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकताकोन सिर्फ समझा बल्कि अन्य जरूरतमंद अजनबियों को बचाने के लिए उन्होंने अंगदान की अनुमति भी दी। इसके बाद अस्पताल की कुशल प्रत्यारोपण टीम ने अंग पुन र्प्राप्ति प्रक्रिया शुरू की।
अस्पताल में कुशल प्रत्यारोपण टीम द्वारा अंग पुन र्प्राप्तिप्र क्रिया आज सुबह 8:30 बजे शुरू हुई। इस तरह सुबह करीब 11 बजे सबसे पहले हृदय की पुन र्प्राप्ति की। इसके बाद लीवर और फिर दोपहर 12:30 बजे तक किडनी पुनर्प्राप्ति में सफलता मिली। यह महत्वपूर्ण अंग प्राप्त कर्ताओं को आवंटित किए जाएंगे, जिनमें एमजीएम हेल्थ केयर चेन्नई की एक 16 वर्षीय लड़की और जेपी अस्पताल नोएडा का एक मरीज शामिल है।
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. विनीत सूरी ने कहा, “जब कोई परिवार अपने किसी प्रियजन की अपूरणीय क्षति से निपटने के दौरान भी अंगदान के लिए तैयार होता है तो उस वक्त उन्हें जो आंतरिक शक्ति मिलती है, वह हमेशा पूरे समाज के लिए प्रेरक होती है। इस मामले में भी परिजनों ने सहानुभूति, उदारता और मानवीय भावना के उच्चतम आदर्शों को मूर्त रूप दिया है। हम चिकित्सा नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रख
ने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि इस प्रक्रिया में प्रत्येक चरण अत्यंत संवेदनशीलता और सम्मान के साथ कियाजाए। हमें पूरी उम्मीद है कि यह घटना अंगदान के विचारों को और अधिक व्यापक रूप से बढ़ावा देने में सहायक होगी।