निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी के चुनाव में धांधली के आरोपों को “अवास्तविक” और “कानून के शासन का अपमान” करार दिया

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नई दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग ने शनिवार को कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने 2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को “लोकतंत्र को कमजोर करने की एक ब्लूप्रिंट साजिश” बताया था। निर्वाचन आयोग ने एक तीखे शब्दों वाले बयान में गांधी के आरोपों को “अवास्तविक” और “कानून के शासन का अपमान” करार दिया। आयोग ने बताया कि इस मुद्दे पर पहले ही 24 दिसंबर 2024 को विस्तृत जवाब सार्वजनिक रूप से दिया जा चुका है, जो अभी भी म्ब्प् की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।
“महाराष्ट्र की मतदाता सूची को लेकर लगाए गए निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं,” आयोग ने कहा, साथ ही सार्वजनिक व्यक्तित्वों से आग्रह किया कि वे पहले से रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों की बार-बार अनदेखी करने से बचें। आयोग ने चेतावनी दी कि इस प्रकार की भ्रामक जानकारी का प्रसार न केवल भारत की चुनावी प्रक्रिया में विश्वास को कमजोर करता है, बल्कि कानूनी ढांचे का भी अनादर करता है और पारदर्शिता से चुनाव कराने वाले लाखों चुनाव कर्मियों का मनोबल गिराता है। बयान में आगे कहा गया, “मतदाताओं द्वारा कोई प्रतिकूल निर्णय आने के बाद आयोग को बदनाम करना और कहना कि वह पक्षपाती है, पूरी तरह से निराधार और हास्यास्पद है।” इससे पहले दिन में, राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनावों में गड़बड़ी की और इसी रणनीति का उपयोग आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में भी किया जाएगा। उन्होंने मतदाता सूची में हेरफेर, मतदान प्रतिशत बढ़ाने और कुछ क्षेत्रों में फर्जी वोटिंग करवाने का आरोप लगाया। निर्वाचन आयोग की यह प्रतिक्रिया उन प्रयासों के विरुद्ध एक सख्त रुख को दर्शाती है, जिन्हें वह चुनावी ईमानदारी और पारदर्शिता को कमजोर करने वाला मानता है।

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