नाबार्ड के तहत स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागों के लक्ष्य से कम ऋण वितरण पर मुख्य सचिव ने नाराजगी जताई

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देहरादून। नाबार्ड के तहत स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागों द्वारा लक्ष्य से कम ऋण वितरण पर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने डिस्बर्समेंट को गम्भीरता से लेते हुए ऋण वितरण व अदायगियों के लक्ष्य को तत्परता से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। सीएस राधा रतूड़ी ने पेयजल विभाग को पेयजल सुविधाओं के विकास से सम्बन्धित प्रस्तावों को तत्काल भेजने तथा नाबार्ड को पेयजल प्रस्तावों को शीर्ष प्राथमिकता पर लेने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी विभागों के सचिवों एवं विभागाध्यक्षों को ऋण वितरण एवं अदायगियों में तेजी लाने के लिए साप्ताहिक समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। विभागों द्वारा ऋण वितरण एवं अदायगियों के साथ ही नाबार्ड को प्रस्ताव भेजने के दौरान प्रक्रियाओं में हो रहे विलम्ब का संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रक्रियाओं के सरलीकरण व तीव्रता के निर्देश दिए हैं। विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा आज की बैठक में मौजूद नही रहने पर मुख्य सचिव ने विभाग से स्पष्टीकरण लेने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने वित्त विभाग को एक सप्ताह में धीमी गति से चल रहे सभी प्रोजेक्ट्स की समीक्षा के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने नाबार्ड को निर्देश दिए हैं कि राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विकास के सापेक्ष किसानों की कृषि आय में बढ़ोतरी पर तुलनात्मक अध्ययन किया जाए। उन्होंने नाबार्ड को प्रस्तावों की स्वीकृति में तेजी लाने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में नाबार्ड की आरआईडीएफ (ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि) पर द्वितीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक की अध्यक्षता की। मुख्य सचिव ने कहा कि स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागों द्वारा डिस्बर्समेंट की प्रगति संतोषजनक नहीं है। सभी विभागों को इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विभागों द्वारा वितरण और अदायगियों में आ रही समस्याओं का निवारण कर शीघ्र कार्यों को पूर्ण किया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि अच्छे प्रस्ताव लगातार तैयार कर प्रस्ताव वित्त को भेजे जाने के साथ ही डीपीआर नाबार्ड को भी भेज दी जाए, ताकि समय पर नाबार्ड की भी संस्तुति मिल सके। उन्होंने प्रत्येक सप्ताह और पाक्षिक रूप से प्रस्तावों की लगातार मॉनिटरिंग किए जाने के निर्देश दिए।
बैठक में अपर सचिव वित्त ने बताया कि उच्चाधिकार समिति द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए आरआईडीएफ के तहत 1162 करोड़ के सापेक्ष 1098 करोड़ ऋण डिस्बर्समेंट का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि 1098 करोड़ के डिस्बर्समेंट के लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक विभागों द्वारा मात्र 232.28 करोड़ का डिस्बर्समेंट किया गया है। राज्य में नाबार्ड के तहत ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) से 2.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिचाई सुविधाओं का सृजन एवं पुनर्द्धार किया गया है। लगभग 14,766 किमी ग्रामीण सड़कों के नेटवर्क का निर्माण एवं सुधार किया गया है। 27307 मीटर ब्रिज का निर्माण हो चुका है। 23.77 लाख ग्रामीण आबादी को पेयजल सुविधा मिल चुकी है। 241 स्कूल एवं आईटीआई का निर्माण एवं पुनर्द्धार हो चुका है।
इस अवसर पर सचिव शैलेश बगौली, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, अपर सचिव सी. रविशंकर एवं नाबार्ड अधिकारी पंकज यादव, निर्मल कुमार सहित विभागों के विभागाध्यक्ष एवं उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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